गुरुग्राम मेदांता अस्पताल में शर्मनाक घटना: आईसीयू में वेंटिलेटर पर महिला के साथ दुर्व्यवहार का आरोप

गुरुग्राम के प्रतिष्ठित मेदांता अस्पताल में एक ऐसी घटना सामने आई है, जो न केवल मानवता पर सवाल उठाती है, बल्कि अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था को भी कटघरे में खड़ा करती है। 6 अप्रैल 2025 को आईसीयू में वेंटिलेटर पर भर्ती एक 46 वर्षीय महिला के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार का मामला सामने आया है। पीड़िता ने गुरुग्राम के सदर थाने में शिकायत दर्ज कर अस्पताल के एक कर्मचारी पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

क्या है पूरा मामला?

46 वर्षीय एयर होस्टेस, जो एक इंटरनेशनल एयरलाइंस में कार्यरत हैं, ट्रेनिंग के सिलसिले में गुरुग्राम आई थीं। होटल के स्विमिंग पूल में डूबने के कारण उनकी तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें पहले एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया और फिर मेदांता अस्पताल में शिफ्ट किया गया। हालत गंभीर होने पर उन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया।

पीड़िता का आरोप है कि 6 अप्रैल को जब वह बेहोशी की हालत में थीं, तब एक अस्पताल कर्मचारी ने उनका शारीरिक शोषण किया। महिला ने बताया कि वह बोलने या विरोध करने की स्थिति में नहीं थीं, लेकिन इस घटना ने उन्हें मानसिक रूप से झकझोर दिया। 13 अप्रैल को अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद, उन्होंने 14 अप्रैल को हिम्मत जुटाकर 112 पर कॉल की और अपने लीगल एडवाइजर के साथ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस जांच और अस्पताल का बयान

गुरुग्राम पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस के अनुसार, अस्पताल स्टाफ से पूछताछ की जा रही है और आईसीयू के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों के सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है। मेदांता अस्पताल ने बयान जारी कर कहा कि वे जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं और सभी जरूरी दस्तावेज पुलिस को सौंपे गए हैं। हालांकि, अस्पताल ने यह भी दावा किया कि अभी तक कोई आरोप स्पष्ट रूप से साबित नहीं हुआ है।

अस्पतालों की सुरक्षा पर सवाल

यह घटना अस्पतालों, खासकर आईसीयू जैसे उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्रों की निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाती है। जहां परिवार वालों को भी मरीज के पास रुकने की अनुमति नहीं होती, वहां ऐसी घटना कैसे हो सकती है? यह मामला न केवल एक महिला की गरिमा पर हमला है, बल्कि मरीजों के भरोसे को भी चोट पहुंचाता है।

आगे क्या?

जांच के नतीजे क्या होंगे, यह तो समय बताएगा, लेकिन इस घटना ने अस्पतालों की जवाबदेही और सुरक्षा मानकों पर बहस छेड़ दी है। क्या मरीजों को अब अपनी सुरक्षा का डर भी सताएगा? समाज और प्रशासन को इस सवाल का जवाब ढूंढना होगा।

आपकी राय: क्या अस्पतालों में मरीजों की सुरक्षा के लिए और सख्त कदम उठाने चाहिए? अपनी राय कमेंट में साझा करें।

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