आजमगढ़ का सितारा: राहुल भारती ने IAS बनकर रचा इतिहास: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले से एक ऐसी खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जो हर किसी के दिल को छू रही है। यह कहानी है राहुल भारती की, एक साधारण किसान परिवार के बेटे, जिन्होंने गरीबी, आर्थिक तंगी, और तमाम मुश्किलों को पार कर UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास की और IAS अधिकारी बनकर अपने परिवार और पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया। राहुल की इस प्रेरक कहानी में मेहनत, लगन, और परिवार का अटूट समर्थन साफ झलकता है। आइए, उनके पिता डॉ. साहब (जैसा कि स्थानीय लोग उन्हें बुलाते हैं) की जुबानी इस संघर्ष और सफलता की कहानी को जानते हैं।
राहुल भारती की प्रेरक यात्रा: खेतों से IAS तक
राहुल भारती का जन्म आजमगढ़ के एक साधारण किसान परिवार में हुआ। उनके पिता, जिन्हें गांव वाले प्यार से डॉ. साहब कहते हैं, एक मेहनती व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपने छह बच्चों को पढ़ाने-लिखाने के लिए दिन-रात मेहनत की। परिवार की आर्थिक स्थिति कभी मजबूत नहीं रही। घर में बिजली तक नहीं थी, और कई बार खाने-पीने की तंगी भी झेलनी पड़ी। लेकिन डॉ. साहब का एक ही सपना था—उनके बच्चे पढ़-लिखकर आत्मनिर्भर बनें और समाज में नाम कमाएं।
राहुल ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई गांव के स्कूल में की। उनकी प्रतिभा शुरू से ही नजर आती थी, खासकर गणित, भौतिकी, और रसायन विज्ञान में। लेकिन मेडिकल की पढ़ाई का खर्च उठाना परिवार के लिए संभव नहीं था। राहुल ने अपने पिता की मेहनत और संघर्ष को देखकर फैसला किया कि वह IAS बनकर देश की सेवा करेंगे। उनकी इस महत्वाकांक्षा को उनके पिता और भाई-बहनों ने पूरा समर्थन दिया।
UPSC की राह: मेहनत, कोचिंग, और आत्मविश्वास
राहुल ने लखनऊ विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। इसके बाद, उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की। शुरुआत में, उन्होंने दिल्ली के मुखर्जी नगर में एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया, जहां उन्होंने 8 महीने तक पढ़ाई की। कोचिंग की फीस 35,000 रुपये थी, और हर महीने 10,000 रुपये का खर्च अलग से था। यह राशि एक साधारण किसान परिवार के लिए आसान नहीं थी। लेकिन राहुल के छोटे भाई पवन भारती, जो भारत पेट्रोलियम में सेल्स मैनेजर हैं, ने इस जिम्मेदारी को उठाया। पवन ने कहा, “पापा, आपने बहुत मेहनत की। अब हम भाई-बहन राहुल की पढ़ाई का खर्च उठाएंगे।” कुल मिलाकर, कोचिंग और रहने-खाने में 80,000 रुपये से ज्यादा खर्च हुए।
कोरोना काल ने राहुल की तैयारी को और चुनौतीपूर्ण बना दिया। दो साल तक उन्होंने ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए तैयारी जारी रखी। इस दौरान, उन्होंने 2022 में PCS परीक्षा पास की और अकबरपुर में खादी ग्राम उद्योग विभाग में मैनेजर के पद पर जॉइन किया। इससे पहले, उन्हें नेवी में नौकरी का ऑफर भी मिला, लेकिन राहुल ने इसे ठुकरा दिया। उनका लक्ष्य केवल IAS बनना था।
PCS में सफलता के बाद भी राहुल ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी नौकरी के साथ-साथ UPSC की तैयारी जारी रखी। लखनऊ हेडक्वार्टर में प्रमोशन के बाद भी वह रात-दिन पढ़ाई करते रहे। आखिरकार, उनकी मेहनत रंग लाई, और उन्होंने UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास कर IAS बनने का सपना पूरा किया।
परिवार का योगदान: पिता की मेहनत, भाई का समर्थन
राहुल की सफलता के पीछे उनके परिवार का अटूट समर्थन है। डॉ. साहब ने अपने बच्चों के लिए हर तरह का त्याग किया। उन्होंने बताया, “मैंने कम खाया, कम पहना, लेकिन बच्चों की पढ़ाई में कभी कमी नहीं आने दी। मेरे लिए मेरे बच्चे ही मेरी सबसे बड़ी संपत्ति हैं।” उन्होंने मजदूरी की, ईंट भट्ठों पर काम किया, और अपनी BSC तक की पढ़ाई भी मेहनत से पूरी की। उनका मानना था कि अगर बच्चे पढ़-लिख जाएंगे, तो वे न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे समाज को आगे बढ़ाएंगे।
राहुल के भाई पवन ने भी उनकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाया। डॉ. साहब ने गर्व से कहा, “पवन ने कहा कि पापा, आप परेशान मत होइए। मैं राहुल को पढ़ाऊंगा।” यह परिवार का एकजुट प्रयास था, जिसने राहुल को इतनी बड़ी सफलता दिलाई।
जीवन में दुख और खुशी का मिश्रण
राहुल की सफलता के बीच डॉ. साहब के जीवन में एक बड़ा दुख भी है। उनके सबसे बड़े बेटे, जो लखनऊ में डेंटिस्ट थे, की 30 साल की उम्र में मृत्यु हो गई। यह नुकसान उनके लिए एक गहरा जख्म है। उन्होंने कहा, “यह दुख जिंदगी भर नहीं जाएगा। लेकिन राहुल की सफलता ने हमें फिर से जीने की वजह दी।” पूरे गांव और क्षेत्र में राहुल की उपलब्धि की खुशी मनाई जा रही है।
डॉ. साहब का संदेश: शिक्षा ही शेरनी का दूध
डॉ. साहब ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए माता-पिता और समाज को एक प्रेरक संदेश दिया। उन्होंने कहा, “मैं हर मां-बाप से आग्रह करता हूं कि अपने बच्चों को लगन से पढ़ाएं। आधी रोटी खाइए, बर्तन न हो तो हाथ पर खाइए, लेकिन बच्चों को शिक्षा दीजिए। बाबासाहेब अंबेडकर ने कहा था कि शिक्षा शेरनी का दूध है, जो पीता है वही दहाड़ता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि राहुल केवल उनका बेटा नहीं, बल्कि पूरे आजमगढ़ का बेटा है। उनकी कामना है कि हर गांव से IAS और IPS जैसे अधिकारी निकलें, जो देश और समाज की सेवा करें।
राहुल की सफलता का सामाजिक प्रभाव
राहुल भारती की कहानी आजमगढ़ के युवाओं के लिए एक मिसाल बन गई है। उनकी सफलता ने साबित किया कि मेहनत और लगन के सामने कोई बाधा टिक नहीं सकती। सोशल मीडिया पर उनकी कहानी वायरल होने से हजारों छात्रों को प्रेरणा मिल रही है। खासकर ग्रामीण और किसान परिवारों के लिए यह एक उम्मीद की किरण है कि साधारण पृष्ठभूमि से भी बड़े सपने पूरे किए जा सकते हैं।
प्रेरणा और सबक
राहुल की कहानी हमें कई सबक देती है:
- मेहनत और धैर्य: UPSC जैसी कठिन परीक्षा में सफलता के लिए लगातार मेहनत और धैर्य जरूरी है।
- परिवार का समर्थन: परिवार की एकजुटता और समर्थन सपनों को हकीकत में बदल सकता है।
- शिक्षा की ताकत: शिक्षा हर मुश्किल से निकालने का सबसे बड़ा हथियार है।
- सादगी का महत्व: राहुल ने सादा जीवन जिया और अपने लक्ष्य पर फोकस रखा, जो उनकी सफलता का आधार बना।
सुझाव युवाओं के लिए:
- कोचिंग जरूरी नहीं, लेकिन अगर संभव हो तो अच्छे इंस्टीट्यूट से मार्गदर्शन लें।
- ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग करें, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां कोचिंग की पहुंच सीमित है।
- परिवार और दोस्तों से प्रेरणा लें और नकारात्मकता से दूर रहें।
निष्कर्ष
राहुल भारती की कहानी एक साधारण किसान परिवार से निकलकर IAS बनने की प्रेरक गाथा है। उनके पिता की मेहनत, भाई का समर्थन, और उनकी अपनी लगन ने इस सपने को सच कर दिखाया। आजमगढ़ का यह सितारा न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणा है। यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी मंजिल असंभव नहीं।
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