अंबेडकर नगर: अथर्व स्कैन सेंटर की लापरवाही, मरीज को 2 घंटे में दीं दो अलग-अलग रिपोर्ट: अंबेडकर नगर जिले के अकबरपुर में एक निजी डायग्नोसिस सेंटर की लापरवाही ने स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। टांडा रोड पर स्थित अथर्व स्कैन सेंटर ने एक मरीज को महज दो घंटे के अंतराल में दो अलग-अलग अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट थमा दीं। पहली रिपोर्ट में लिवर में सूजन बताई गई, जबकि दूसरी में पित्त की थैली में 8 मिमी की पथरी का जिक्र था। इस घटना ने मरीज को मानसिक और शारीरिक तनाव में डाल दिया है, और स्कैन सेंटर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) संजय कुमार शैवाल ने मामले की जांच और कार्रवाई का आश्वासन दिया है। आइए, इस मामले की पूरी कहानी जानते हैं।
क्या हुआ मामला?
अकबरपुर निवासी सत्यम को पेट में तेज दर्द की शिकायत थी। वह टांडा रोड पर स्थित एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे। डॉक्टर ने प्राथमिक जांच के बाद अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी। सत्यम पास ही हवाई पट्टी के सामने स्थित अथर्व स्कैन सेंटर गए। पहली अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में उनके लिवर में सूजन (क्रोनिक लिवर डिजीज या हेपेटाइटिस की संभावना) बताई गई। डॉक्टर ने इस आधार पर इलाज शुरू किया, लेकिन दर्द में कोई राहत नहीं मिली।
दो घंटे बाद, सत्यम ने दोबारा अल्ट्रासाउंड करवाया। इस बार स्कैन सेंटर की रिपोर्ट में पित्त की थैली में 8 मिमी की पथरी (कोलेलिथियसिस) का उल्लेख था। दो अलग-अलग रिपोर्ट्स ने सत्यम को हैरान और परेशान कर दिया। उन्होंने बताया, “मैं पहले से दर्द से जूझ रहा था, और अब इन विरोधाभासी रिपोर्ट्स ने मुझे मानसिक तनाव में डाल दिया। आखिर एक ही सेंटर दो घंटे में इतनी अलग बात कैसे बता सकता है?”
स्कैन सेंटर की कार्यप्रणाली पर सवाल
इस घटना ने अथर्व स्कैन सेंटर की विश्वसनीयता और तकनीकी क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, अल्ट्रासाउंड जैसी जांच में इतनी बड़ी गड़बड़ी या तो उपकरणों की खराबी, रेडियोलॉजिस्ट की लापरवाही, या प्रशिक्षण की कमी के कारण हो सकती है। पित्त की थैली में पथरी (कोलेलिथियसिस) और लिवर में सूजन (हेपेटाइटिस या फाइब्रोसिस) दो अलग-अलग स्थितियां हैं, जिनके लक्षण और निदान में स्पष्ट अंतर होता है। ऐसे में, एक ही मरीज को दो घंटे में इतनी भिन्न रिपोर्ट देना गंभीर चूक को दर्शाता है।
सत्यम ने कहा, “मैंने अपनी मेहनत की कमाई से जांच कराई, लेकिन अब मुझे नहीं पता कि कौन सी रिपोर्ट सही है। क्या मुझे लिवर का इलाज कराना चाहिए या पथरी का?” उनकी शिकायत स्थानीय लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई है, और कई लोग अब निजी डायग्नोसिस सेंटरों की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं।
CMO का बयान: जांच और कार्रवाई का आश्वासन
मामले की गंभीरता को देखते हुए सत्यम ने स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से शिकायत की। CMO संजय कुमार शैवाल ने इस घटना पर त्वरित प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “हमें अथर्व स्कैन सेंटर के खिलाफ शिकायत मिली है। यह एक गंभीर मामला है, क्योंकि मरीजों का स्वास्थ्य और विश्वास दांव पर है। हम जल्द ही एक जांच समिति गठित करेंगे, और अगर लापरवाही सिद्ध हुई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
CMO ने यह भी आश्वासन दिया कि जिले के सभी डायग्नोसिस सेंटरों की नियमित जांच की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। यह कदम निजी स्वास्थ्य सेवाओं में जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है।
ऐसी घटनाएं नहीं हैं नई
अथर्व स्कैन सेंटर का यह मामला अकेला नहीं है। हाल के वर्षों में, देश के कई हिस्सों में डायग्नोसिस सेंटरों की लापरवाही की खबरें सामने आई हैं। उदाहरण के लिए:
आगरा में एक पैथोलॉजी लैब ने खांसी के मरीज को कैंसर की गलत रिपोर्ट दी, जिसके बाद पीड़ित को मानसिक और आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा।
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किशनगंज में एक मरीज के ईसीजी की तीन अलग-अलग सेंटरों से अलग-अलग रिपोर्ट आईं, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग से जांच की मांग की गई।
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इन घटनाओं से साफ है कि निजी डायग्नोसिस सेंटरों में गुणवत्ता नियंत्रण और प्रशिक्षण की भारी कमी है। यह मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ तो है ही, उनके आर्थिक और मानसिक नुकसान का भी कारण बनता है।
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स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि लिवर में सूजन और पित्त की थैली में पथरी दो अलग-अलग चिकित्सीय स्थितियां हैं। **लिवर में सूजन** (हेपेटाइटिस या फाइब्रोसिस) के लक्षणों में पेट में सूजन, थकान, मतली, और पीलिया शामिल हो सकते हैं। वहीं, **पित्त की थैली में पथरी** से तेज पेट दर्द, उल्टी, और अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अल्ट्रासाउंड में इन दोनों का निदान सटीक होना चाहिए, क्योंकि गलत निदान से इलाज गलत दिशा में जा सकता है।
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विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि मरीजों को ऐसी स्थिति में दूसरी राय लेनी चाहिए और बड़े अस्पतालों या सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में दोबारा जांच करानी चाहिए। इसके अलावा, डायग्नोसिस सेंटरों को नियमित ऑडिट और कड़े लाइसेंसिंग नियमों के अधीन करना जरूरी है।
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मरीज और स्थानीय लोगों में आक्रोश
सत्यम की घटना ने अकबरपुर के स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है। कई लोग सोशल मीडिया पर अथर्व स्कैन सेंटर की लापरवाही की आलोचना कर रहे हैं। एक स्थानीय निवासी, रामू प्रसाद, ने कहा, “हम गरीब लोग अपनी मेहनत की कमाई से जांच कराते हैं। अगर सेंटर ही गलत रिपोर्ट देगा, तो हमारा क्या होगा?”
कई लोगों ने मांग की है कि अथर्व स्कैन सेंटर का लाइसेंस रद्द किया जाए और पीड़ित मरीज को मुआवजा दिया जाए। यह घटना निजी स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत को रेखांकित करती है।
सुझाव और सावधानियां
इस घटना से मरीजों और आम लोगों के लिए कुछ सबक हैं:
- दूसरी राय लें: अगर कोई डायग्नोसिस संदिग्ध लगे, तो किसी अन्य विश्वसनीय सेंटर या बड़े अस्पताल में दोबारा जांच कराएं।
- रिपोर्ट की जांच: अल्ट्रासाउंड, एमआरआई, या सीटी स्कैन की रिपोर्ट में रेडियोलॉजिस्ट के हस्ताक्षर, सील, और रजिस्ट्रेशन नंबर की जांच करें। चिरंजीवी योजना के अंतर्गत पथरी का इलाज़ : महत्वपूर्ण जानकारी और आवेदन प्रक्रिया
- शिकायत दर्ज करें: लापरवाही के मामले में तुरंत CMO या स्वास्थ्य विभाग में शिकायत करें।
- जागरूकता: सरकारी अस्पतालों या मान्यता प्राप्त डायग्नोसिस सेंटरों को प्राथमिकता दें।
निष्कर्ष
अथर्व स्कैन सेंटर की इस लापरवाही ने अंबेडकर नगर में निजी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। मरीज सत्यम की परेशानी और दो अलग-अलग रिपोर्ट्स ने न केवल उनकी सेहत को खतरे में डाला, बल्कि उनके विश्वास को भी तोड़ा। CMO संजय कुमार शैवाल की जांच और कार्रवाई का आश्वासन इस दिशा में पहला कदम है, लेकिन जरूरत है कि ऐसे सेंटरों पर स्थायी नकेल कसी जाए।
क्या आपने भी कभी डायग्नोसिस सेंटर की लापरवाही का सामना किया है? इस घटना पर आपके क्या विचार हैं? कमेंट में शेयर करें!
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