जलालपुर CHC में लापरवाही बनी नवजात की मौत का कारण, 6 महीने में दूसरी घटना से जनता गुस्से में: अंबेडकर नगर के जलालपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) एक बार फिर लापरवाही के गंभीर आरोपों में घिर गया है। मंगलवार, 1 जुलाई 2025 की रात को एक नवजात की मौत ने अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठा दिए हैं। यह पिछले छह महीने में दूसरी ऐसी दर्दनाक घटना है, जिसने न केवल पीड़ित परिवार को झकझोर दिया, बल्कि स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है।
स्वास्थ्य विभाग की कथित लीपापोती और गैर-जवाबदेही पर सवाल उठ रहे हैं, और लोग अब सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। आइए, इस दुखद घटना की पूरी कहानी जानते हैं।
क्या हुआ मामला?
चितई पट्टी जगेसिया निवासी एक गर्भवती महिला को आशा कार्यकर्ता की मदद से प्रसव के लिए जलालपुर CHC में भर्ती कराया गया था। जानकारी के अनुसार, महिला की सभी जांच रिपोर्ट्स सामान्य थीं, और गर्भ में पल रहा बच्चा पूरी तरह स्वस्थ था। डिलीवरी के दौरान ड्यूटी पर तैनात स्टाफ नर्स की कथित लापरवाही ने 3.5 किलो से अधिक वजन के स्वस्थ नवजात की जान ले ली।
आरोप है कि स्टाफ नर्स ने न तो समय पर प्रसूता को अटेंड किया और न ही प्रसव के मानक प्रोटोकॉल का पालन किया। सबसे गंभीर चूक यह रही कि आपात स्थिति में इमरजेंसी चिकित्सक को समय पर सूचित नहीं किया गया। नवजात की मौत के बाद ही डॉक्टर को बुलाया गया, जब तक बहुत देर हो चुकी थी। CHC के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “अगर समय पर डॉक्टर को बुला लिया गया होता, तो शायद बच्चे की जान बच सकती थी।”
परिजनों का हंगामा, प्रशासन की लीपापोती
नवजात की मौत के बाद परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने CHC परिसर में जमकर हंगामा किया और जिम्मेदार स्टाफ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। सुबह तक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने परिजनों को समझा-बुझाकर मामला शांत कराया, लेकिन स्थानीय लोगों का गुस्सा कम नहीं हुआ।
यह पहली बार नहीं है जब जलालपुर CHC पर इस तरह के आरोप लगे हैं। छह महीने पहले, जनवरी 2025 में, एक अन्य नवजात की मौत का मामला सामने आया था। उस समय पीड़ित पिता ने DM और CMO से ऑनलाइन शिकायत की थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। स्थानीय लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग हर बार “जांच” का वादा करके मामले को दबा देता है। एक स्थानीय निवासी, रामलाल, ने कहा, “हर बार यही होता है। जांच का ढोंग होता है, और जिम्मेदार बच निकलते हैं। कितने और बच्चों की जान जाएगी?”
CHC अधीक्षक का बयान: “जांच होगी”
CHC अधीक्षक डॉ. जयप्रकाश ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मैं इस समय क्षेत्र में जांच के सिलसिले में हूं। मामला मेरे संज्ञान में है, और आवश्यक जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।” हालांकि, उनका यह बयान स्थानीय लोगों को केवल एक और खोखला वादा लग रहा है। लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की लीपापोती की नीति अब उनके सब्र का इम्तिहान ले रही है।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही: एक व्यापक समस्या
जलालपुर CHC की यह घटना अकेली नहीं है। उत्तर प्रदेश के कई सरकारी और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर लापरवाही के मामले सामने आते रहे हैं। उदाहरण के लिए:
- सुल्तानपुर में एक CHC में प्रसव के दौरान गलत इंजेक्शन देने से मां और बच्चे की जान खतरे में पड़ गई थी।
- प्रयागराज में एक सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से नवजात की मौत की खबर ने सुर्खियां बटोरी थी।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कम प्रशिक्षित स्टाफ, उपकरणों की कमी, और आपातकालीन प्रबंधन का अभाव ऐसी घटनाओं के प्रमुख कारण हैं। जलालपुर CHC में भी स्टाफ की कमी और प्रशिक्षण की खामियां बार-बार उजागर होती रही हैं।
जनता में आक्रोश: “कब तक चलेगा यह खेल?”
इस घटना ने जलालपुर और आसपास के क्षेत्रों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। सोशल मीडिया पर लोग CHC के खिलाफ गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। एक स्थानीय निवासी, मीना देवी, ने X पर लिखा, “जलालपुर CHC में लापरवाही की सजा मासूम बच्चों को भुगतनी पड़ रही है। स्वास्थ्य विभाग कब जागेगा?”
लोगों की मांग है कि जिम्मेदार स्टाफ नर्स और CHC प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, और भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। कुछ ने CMO और DM से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है, जबकि अन्य ने स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखने की बात कही है।
सुझाव और सावधानियां
इस दुखद घटना से कुछ सबक लिए जा सकते हैं:
- आपातकालीन प्रबंधन: CHC में 24×7 इमरजेंसी डॉक्टर और प्रशिक्षित स्टाफ की उपलब्धता सुनिश्चित करें।
- प्रशिक्षण: स्टाफ नर्स और अन्य कर्मचारियों को नियमित प्रशिक्षण और प्रोटोकॉल का पालन करने की सख्त हिदायत दी जाए।
- मरीजों के लिए सलाह: प्रसव जैसे संवेदनशील मामलों में सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ नजदीकी बड़े अस्पतालों में दूसरी राय लें।
- शिकायत तंत्र: लापरवाही की शिकायत के लिए त्वरित और पारदर्शी जांच प्रक्रिया हो, ताकि लीपापोती न हो।
निष्कर्ष
जलालपुर CHC में हुई इस दुखद घटना ने एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर किया है। छह महीने में दूसरी नवजात की मौत ने न केवल परिजनों के दिल तोड़े, बल्कि जनता का स्वास्थ्य व्यवस्था पर भरोसा भी डगमगा दिया है। CHC अधीक्षक का जांच का वादा कितना सार्थक होगा, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन सवाल यह है कि आखिर कब तक मासूमों की जान लापरवाही की भेंट चढ़ती रहेगी?
क्या आपने भी सरकारी अस्पतालों में ऐसी लापरवाही का सामना किया है? इस घटना पर आपके विचार क्या हैं? कमेंट में शेयर करें!